औद्योगिक थाना पुलिस की प्रतिष्ठा हो रही धूमिल? पद और अधिकारों के दुरुपयोग के निरंतर आरोप

देवास (खुमानसिंह बैस) ।  एस.पी. कृष्णावेणी देसावतु अपनी पोस्टिंग से लेकर अबतक देवास जिले की कानून व्यवस्था से लेकर पुलिस विभाग के सुधार मे सहित कोरोना से फाईट मे एक्टिव रह कर वर्दी का सम्मान बढ़ा रही हैं ।


एस.पी. की सकारात्मक पहल और प्रयास को सफलताओं का प्रतीक बनाने मे अधिकतर अधिनस्थ भी निरंतर सक्रिय हैं ।
ए एस पी जगदीश डाबर, डी एस पी किरण शर्मा ,सी एस पी अनिलसिंह राठौर , टी आय महेन्द्रसिंह परमार,योगेन्द्रसिंह सिसोदिया , लीला सोलंकी , शैलजा भदौरिया और अनेक सहयोगी  सेवा ,सहयोग,सद्भावना के प्रतीक बनकर प्रशंसा प्राप्त भी कर रहे हैं । देवास जिले का  अधिकतर अमला देशभक्ति जनसेवा को साकार कर रहा है और प्रशासन सहित डाक्टरों और पत्रकारों के साथ समन्वय बनाकर  कोरोना पर उसे धराशायी कर देने वाला प्रहार भी कर रहा है ।
देवास के औद्योगिक क्षेत्र थाने के विवादित प्रभारी बृजेश श्रीवास्तव और  कुछअन्य पुलिसकर्मी अपने व्यवहार से पुलिस और वर्दी की प्रतिष्ठा सहित एस पी के अच्छे प्रयासों को भी धूमिल कर रहे हैं ।
एस पी पर जनता फूल बरसाती है,सहयोग मे कदम मिलाती है,कोरोना पर विजय पाती है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र पुलिस पर आरोप लगाती है ।
इसका कारण  यह है कि औद्योगिक क्षेत्र पुलिस उद्योगों मे काम करने वाले और क्षेत्र मे निवास करने वालों पर डण्डे बरसाती है, क्षेत्र से गुजरने वालों से गन्दी गालियों से पेश आती है और भयंकर गर्मी मे न्यायाधीश बनकर आम जनता को घन्टों सड़क पर खड़ा रहने की,कान पकड़कर उठक बैठक लगाने की सजा भी सुनाती है ।
औद्योगिक क्षेत्र थाने की प्रभारी प्रतिष्ठा राठौर को बनाने के बाद हाशिये पर आये और सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा के निशाने पर आये बृजेश श्रीवास्तव रसूलपुर चौराहे पर वाहन चालाकों और रोटी बांटने वालों से किसी मवाली जैसा व्यवहार करते देखे गये । हद से बाहर गन्दी गालियां देते सुने गये जो वर्दी पर सवाल है ?
यही श्रीवास्तव राजमाता विधायक गायत्रीराजे पवार की उपेक्षा मे भी चर्चित रहे थे । इनको हटाने के लिये विधायक गायत्रीराजे पवार और भाजपा को आन्दोलन भी करना पड़ा था लेकिन कांग्रेस के वरदहस्त ने इन्हें बचा लिया था ।
अब इनकी रवानगी तय है और ऊपर से प्रतिष्ठा राठौर से दूसरे नम्बर पर आकर इनकी मानसिकता पर गहरा प्रभाव पड़ा है । 
औद्योगिक थाना कमाई का उद्योग होकर यहा की कमान लेने वाले उद्योगपति   से कम नहीं होते । 
एस पी कहती हैं वायरस संक्रमण मे हम पहले से ही परेशान जनता से अपराधियों सा व्यवहार नहीं कर सकते । एस पी खुद पब्लिक से सम्मानित व्यवहार करती हैं लेकिन औद्योगिक पुलिस अत्याचारी बनकर न सिर्फ़ मारपीट करती है बल्कि न्यायाधीश बनकर सजा भी देती है । वास्तविक पत्रकारों से इनका समन्वय भी नहीं है न यह वरिष्ठ अधिकारियों और शासन के निर्देश मानती है।
औद्योगिक क्षेत्र थाने को जरुरत है पुलिस शब्द को साकार करने और आम आदमी से अच्छा व्यवहार करने वाले अमले की ।
एस पी को इस मामले मे ध्यान देना चाहिए और विधायक राजमाता गायत्रीराजे पवार को भी ।